पड़ोसियों के हक़

पड़ोसियों के हक़

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

अल्लाह ने पड़ोसियों का भी हक़ रखा है। प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने भी पड़ोसियों के साथ अच्छा बर्ताव करने की बड़ी ताकीद की है। आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया: “वह शख्स मोमिन ही नहीं जो खुद तो पेट भरकर खाए और उसकी दीवार तले पडोसी भूखा हो।” प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक प्यारे साथी को ताकीद फरमाई की जब शोरबा पकाओ तो उसमे पानी ज्यादा डाल दिया करो और अपने पड़ोसी के यहाँ भी भेज दिया करो। हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने यह भी फ़रमाया कि “जो शख्स अल्लाह का प्यारा बनना चाहे वो अपने पड़ोसियों के साथ अच्छा बर्ताव करे।” प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और प्यारे सहाबा (रज़ी अल्लाह ता'आला अन्हो) भी अपने पड़ोसियों का बड़ा ध्यान रखते थे। पडोसी चाहे मुस्लमान हो या गैर मुस्लमान उसका ख्याल रखना चाहिए। मुसलमान कभी पड़ोसियों को तकलीफ नहीं पोह्चाता। वह हमेशा उनके साथ अच्छा सुलूक करता है, उसके दुःख दर्द और ख़ुशी में शरीक होता है। आड़े वक्त पर उसके काम आता है, वह क़र्ज़ मांगे और हो तो कभी इनकार नहीं करता, बीमार हो तो उसकी अयादत करता है। सौदा वगेरह और दवा ला देता है। अगर कोई मर जाए तो उसके जनाज़े में शरीक होता है। जो उसके पास हो उसमे से तोहफा भेजता है और उसकी इज्जत – आबरू की इस तरह हिफाजत करता है , जिस तरह अपनी इज्जत-आबरू की हिफाज़त करता है।

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